संघर्षों की कुछ अधूरी कहानियां

 नमस्कार दोस्तों आज के इस टॉपिक में हम संघर्षों के कुछ कहानियों के बारे में जानेंगे तो चलिए  आज  का ये टॉपिक शुरू करते हैं 

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1. संघर्ष करने वाले कहते हैं कि हैं।

एक लड़का था। जिसका नाम टून था। वह एक बहुत गरीब परिवार में पैदा हुआ था।उसके जो पिता थे। एक मजदूर थे। छोटे मोटे काम किए गए थे। और घर का गुजर-बसर चलता रहता था। कभी-कभी ऐसा भी होता था। कि उनके पिता को काम ना मिलने की वजह से परिवार को भूखा सोना पड़ता था। मानव गरीबी इस कदर से घेर रखा गया कि वहां से निकल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है। मीटर जैसे-जैसे बड़ा होता गया। वैसे-वैसे उसके घर के खर्चे भी बढ़ने लगे।

मीटर के बड़े होने के साथ-साथ उसकी ज़रूरतें भी बढ़ने लगीं। घर की स्थिति को देखते हुए उसकी मां भी काम पर जाने लगी। इसलिए उसका पालन पोषण ठीक तरीके से संभव हो सकता है। हम उसी तरह से गरीबी को नजदीक से देखते हैं। वह उस गरीबी को ना देखें।

धीरे-धीरे समय बीतता चला गया। और इसी तरह से सब कुछ चलता रहता है।पैसे कमाने के लिए उसके माता-पिता जब काम पर चले गए थे।तो मीटर घर पर अकेले ही किसी तरह रहता था। 


बॉन्ड जब 5 साल का हुआ तो उसके माता-पिता की मौत हो गई। गोंद को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह अब क्या करें। उसके सर से उसके माता-पिता का हाथ उठ गया था। बाड को अपनी जिंदगी से काफी एपिसोड संघर्षों के साथ जीना पड़ा। उसके पिताजी पर टैप के माताजी के गुजर जाने के बाद जिम्मेदारियाँ और बढ़ गईं।

उसके पिताजी अपने बेटे को लेकर शहर की तरफ रोजी रोटी कमाने के लिए निकल पड़े। वह शहर में जाकर काम की तलाश में इधर-उधर घूमने लगी। पर उन्हें पहचानने वाला कोई नहीं था। वह शहर उनके लिए बिल्कुल नया था। वह शहर कभी गए नहीं थे। इसलिए उन्हें शहर के बारे में कुछ बहुत अधिक जानकारी नहीं थी।

दो-तीन दिन बीत गए और उनके पिता जी काम की तलाश में इधर उधर शहर में ही भटकने लगे। काम ना मिल पाने की वजह से और ठीक से खाना भी ना मिलने की वजह से दोनों पिता और पुत्र काफी कमजोर हो गए हैं गए हैं। उन्हें कुछ समझ है में नहीं आ रहा था। कि अब हम भोजन कहां से लाए। गांव से इसलिए चले आए थे। 

उस शहर में हमें अच्छा काम मिलेगा और हम अपनी रोजी रोटी अच्छे से जाएंगे। -ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ कभी-कभी वह भूखा सोने के लिए मजबूर हो जाते थे। मीटर के पिता को बड़ी मुश्किल से एक दुकान पर काम मिला और कुछ दिन रोजी रोटी चला उसके पिता के गरीबों को देखकर दुकानदार ने उसके पिता जीके गरीबी का फायदा उठाकर उसको पूरा पैसे नहीं देता था।

पूरे पैसे ना मिलना की वजह से उसके पिताजी को वह काम छोड़ना पड़ा। वह फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर थे।उन्हें रात में अपना गुजारा उसी फुटपाथ पर करना पड़ता था।उसे उस शहर में कोई पहचाने वाला नहीं था।


एक समय की बात है। की जब वह फुटपाथ पर सोए हुए थे। तभी अचानक बहुत तेज हवा बहने लगी और थोड़ी ही देर बाद देखते ही देखते बहुत तेज मूसलाधार बारिश होने लगी। बांड सोया हुआ था बारिश से बचने के लिए उसके पिता बॉन्ड को लेकर इधर उधर भटकने लगे। पर उन्हें कोई भी अपने घर में रहने के लिए जगह नहीं दी। वह एक दोकान के नीचे बैठ गए।


उसके पिता जी उस दुकान के नीचे बैठकर और अपनी इस हालात को देखकर रोने लगे अपने आंसुओं को रोक नहीं सके और उनके मुख से तेज आवाज रोने की निकली जिससे बाउंड का नींद खुल गई ।और वहां उठ कर बैठ गया।तथा अपने पिताजी से पूछता है। कि क्या हुआ पिताजी आप रो क्यों रहे हो। अभी तक आप सोए क्यों नहीं ।उसके पिताजी बांड का यह बात सुनकर उसके पिताजी की आंखों उसे मानव आंसू की धार बहने लगी हो उसे कुछ ना जवाब देते हुए कुछ मिनट शांत बैठकर अपने आंसुओं को रोकने का प्रयास कर रहे थे।



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